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वात्सल्यमूर्ति दीदी माँ जी के अवतरण की स्वर्ण जयंती

vatsalya
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मनुष्य उसे जीवन देने वाली प्रकृति के प्रति भले ही कितना भी निष्ठुर हो जाये लेकिन ईश्वरीय शक्ति हमेशा अपनी संतानों की चिंता करती है / हम बीते युगों पर यदि दृष्टि डालें तो ज्ञात होगा कि प्रत्येक युग में मनुष्य जब जब अज्ञान के अँधेरे में भटका है तब तब ऋषियों , मुनियों और महापुरुषों के रूप में दैवीय शक्तियों ने धरती पर अवतरित होकर मनुष्यता को उससे मुक्त कर ज्ञान का आलोक चारों ओर फैलाया / वात्सल्यमूर्ति पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी भारत की उसी प्राचीन परम्परा का एक स्वर्णिम अध्याय है जिसका हर एक पृष्ठ मानव सेवा का भावपूर्ण आलेख है / उनके पावन मार्गदर्शन में संचालित किसी भी सेवा प्रकल्प पर नज़र डालिये , आप पायेगें कि वो अपने आप में एक विशेषता लिए हुए है / उन्होंने जो सोचा वही कहा और जो कह दिया उस पर शत – प्रतिशत अमल किया / माँ , पराम्बा भगवती ने उन्हें उस शक्ति से परिपूर्ण किया जो केवल महापुरुषों के हिस्से में ही आती है / उन्हें वह करुणा और वात्सल्य प्रदान किया जो दीन-दुखियों को न केवल गले लगा सके बल्कि उनका उत्थान भी कर सके / अपने जीवन के केवल कुछ वर्षों में ही कोई इतिहास रच दे , ऐसा बहुत कम लोग कर पाते है / अपना निजत्व छोड़कर औरों के लिए व्यापक रूप से सद्कार्यों को विस्तार देने की घटना बहुत कम लोगों के जीवन में घटती है /
ऐसी ही वात्सल्यमूर्ति है दीदी माँ जी , जिनके जीवन में बहुत गहराई तक वात्सल्य और करुणा , ममता घटित हुई है / जाति , मत , पंथ और सम्प्रदायों से बहुत ऊपर उठकर उन्होंने पीड़ित मानवता को अपने स्नेह आलिंगन में बांधा है / उनके भौतिक जीवन के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आइये हम सब मिलकर उनका अभिनन्दन करें …………..उनका अनुकरण करें …………..भले ही अपने अपने क्षेत्रों में , अपने अपने स्तर पर लेकिन कुछ ना कुछ ऐसा जरुर करें जो अज्ञान और दुःख में डूबी मनुष्यता को जीने की राह दिखा सके / दीदी माँ केवल एक व्यक्तित्व नहीं बल्कि एक विचारधारा है / आइये हम भी उनके विचारों से नई पीढ़ी को परिपुट करें , ताकि वात्सल्य की यह गंग धार बहती रहे …………सदियों तक DSC_1760

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