vatsalya
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राधा रास बिहारी मोरे मन में आन समाये ।
निर्गुणियों के साँवरिया ने खोये भाग जगाये ।
मैं नाहिं जानूँ आरती पूजा केवल नाम पुकारूं ।
साँवरिया बिन हिरदय दूजो और न कोई धारूँ ।
चुपके से मन्दिर में जाके जैसे दीप जलाये ॥
राधा रास बिहारी मोरे मन में आन समाये ।
दुःखों में था डूबा जीवन सारे सहारे टूटे ।
मोह माया ने डाले बन्धन अन्दर बाहर छूटे ॥
कैसी मुश्किल में हरि मेरे मुझको बचाने आये ।
राधा रास बिहारी मोरे मन में आन समाये ॥
दुनिया से क्या लेना मुझको मेरे श्याम मुरारी ॥
मेरा मुझमें कुछ भी नाहिं सर्वस्व है गिरिधारी ।
शरन लगा के हरि ने मेरे सारे दुःख मिटाये ॥
राधा रास बिहारी मोरे मन में आन समाये ॥
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