vatsalya
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रास लीला में एक दिन राधा ना थी,
श्याम ललिता से बोले उनको बुला लीजिये |
मुस्कुरा के ललिता यह कहने लगी,
उनको मुरली सुना के मन लीजिये |
हँस के श्याम मुरलिया बजाने लगे,
और मुरली की धुन में ये ही गाने लगे |
तान बंसरी की सुन, श्री राधिका चल पड़ी |
रास मंडल में थी सारी सखिया खड़ी ||
यह निराली अदा श्याम सिखला रहे |
देवता पुष्प थे सब पे बरसा रहे ||
कौन आया कौन गया यह कुछ भी पता नहीं |
मिल के सब एक स्वर में कहने लगे ||
श्री राधिका श्याम सुन्दर के संग हो खड़ी,
रास मंडल की छोभा बढाने लगी |
राधा मोहन की मनमोहनी छबि निरख,
गोपिया नाचने और गाने लगीं |
बज रहे डोलना, छेने, मृदंग,
सब के मुख से निकल रहे यही बोल थे |
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||
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