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एक शाश्वत कथा

vatsalya
vatsalya
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जिसे साहस कहें ,संयम कहें या व्यथा
एक तालाब के किनारे की इमारत में लगी आग
मच गई अफरा -तफरी और भागम भाग
कुछ लोगों ने आग पर पानी डाला
कुछ लोगों ने आग में घिरे लोगों को बाहर निकाला
सबने वो किया , जो था जिसकी पहुँच में
एक चिड़िया भी डाल रही थी पानी ,भरकर अपनी चोंच में
उसी पेड़ पर रहने वाले कौए ने बोला –
चिड़िया बहिन ! तू सुई की नोंक से
समस्या का ताला खोल रही है और
पत्तों के बाँट से पहाड़ तौल रही है
तेरी चोंच में जितना पानी आयेगा
उससे आग का एक शोला भी नहीं बुझ पायेगा
तब चिड़िया ने जबाब दिया- अरे मेरे भाई !
मैं तेरी बात मानती हूँ
चोंच में भरे पानी की क्षमता भी पहचानती हूँ
केवल इतना जानती हूँ
जिस दिन इस घटना का इतिहास लिखा जायेगा
मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं
आग बुझाने वालों में लिखा जायेगा

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