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प्रयोगशाला – डा.बलदेव

vatsalya
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यह संसार एक विशाल प्रयोगशाला है /
प्रयोग है-अपूर्णता को पूर्णता की ओर बढ़ना और जब तक
हम सब पूर्ण नहीं हो जाते ,यह प्रयोग चलता रहेगा,चलता रहेगा /
पौ फटती है और प्रयोग शुरू / जीवन के मिलन-विछोह
नाते -रिश्ते,आशा-निराशा,चढ़ाव -उतार सब इस प्रयोग के ही अंग है
ये सगे सम्बन्धी क्या मेरे है? या संयोगवश जीवन-मेले में मील गए है/
क्या मैं अपने को स्वामी समझ इन पर अधिकार जमाना चाहता हूँ
या सेवक भाव से इन्हें पूर्णता की ओर ले जाने में सहयोग दे रहा हूँ /
मेरा परिवार क्या इन्हीं तक सीमित है या
मैं आसपास और दूरदराज के लोगों के सुख-दुःख में भी शरीक होता हूँ /
अत:घर-बाहर,प्रतिदिन प्रतिपल यह प्रयोग निरंतर चलता रहता है /
देखना यह है कि हम अपने क्षण-क्षण के व्यवहार में
आचार-विचार में कहाँ तक सफलता प्राप्त कर रहे है/
सफलता परखने की कसौटी है -सरल,सहज,संयत व्यवहार /
निर्मल,निश्छल,निर्लिप्त विचार /
सरलता से सरल और कौनसा व्यवहार हो सकता है?
निर्मलता से निर्मल और कौनसा विचार हो सकता है?
प्रयोग बहुत ही आसान है,पर असाध्य भी/
जब हम अपने अहम् को आगे नहीं करते और दूसरों का अपना समझते है
तो दूसरों की और अपनी भलाई में कोई अंतर नहीं रह जाता/
हम अनायास ही अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाते है/
जब हम कल्पित किले बनाना -गिराना बंदकर
आगे-पीछे की चिंता छोड़,वर्तमान को,तात्कालिक क्षण को
सार्थक बनाने में मन लगाते है तो हम अनायास ही अपने
लक्ष्य की ओर बढ़ते जाते है /
पूर्ण की प्राप्ति तो पूर्ण के ही चिंतन से होगी,
अपूर्ण के चिंतन से नहीं ‘
जो भी व्यक्ति हमारे साथ है,हमारे सामने है,
यदि हम उसकी वेशभूषा में उलझकर,उसके अतीत और
वर्तमान को परखने लगते है,तो हम अपूर्ण का चिंतन कर रहे है /
जो भी व्यक्ति हमारे साथ है,हमारे सामने है,
यदि हम उसके नाम रूप से ऊपर उठ,
उसके आचरण से उदासीन हो,
उसके अंतर में झांककर,सत्य के दर्शन करे का प्रयास करते है
तो हम पूर्ण का चिंतन कर रहे है/
जब हम आगे पीछे की नहीं सोचते,जो है उसपर संतोष कर
वर्तमान में ही जीते है तो जीवन में ऊँच-नीच का प्रश्न ही नहीं उठता
सब समतल हो जाता है और यही समता पूर्णता का मार्ग प्रशस्त करती है/
मै व्यक्ति,विचार,परिस्थिति को किस दृष्टि से देखता हूँ
यह किसी अन्य के नहीं बल्कि मेरे हाथ में है /
अपूर्णता से पूर्णता की ओर बढ़ना,किस गति से बढ़ना,
यह किसी अन्य के नहीं बल्कि मेरे हाथ में है /
यह सारा संसार एक विशाल प्रयोगशाला है/
जब-तक हम सब पूर्ण नहीं हो जाते
यह प्रयोग चलता रहेगा चलता रहेगा /

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