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सैनिको की कलाइयाँ सजेगी राखियों से …………

vatsalya
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4x6प्रति वर्षानुसार जीवन में धारित संकल्प अनुसार रक्षा बंधन का महापर्व २ अगस्त २०१२ को भारत-नेपाल सीमा सोनौली में सरहदों की सुरक्षा में रत मेरे रणबाँकुरों की कलाइयाँ सजेगी रंग-बिरंगी राखियों से / ये राखियाँ केवल रक्षा करने वाले हाथों को सुशोभित करने वाली ही नहीं है बल्कि इन रक्षा-सूत्रों में शुभकामनायें है शुभाशीष है बहनों-माताओं का और कृतज्ञता का भाव है पूरे देशवासियों का / दिवाली हो या होली , ईद हो या क्रिसमस ,सर्दी हो या गर्मी , बसंत हो या बरसात / मौसम की या त्यौहार की या परिस्थितियों की अनुकूलता हो या प्रतिकूलता सब में मुस्तैदी से डटा है तो मेरा वीर सिपाही सरहद पर/ उनकी वज़ह से हम चैन की नींद लेते है और वो है जो जाग-जाग ,अपनों से दूर वीरानें में माँ भारती की रक्षा में सतत प्रहरी की भूमिका में तल्लीनता से लगा है / पूरा देश उनके साथ है यह भी अनुभूत कराने के लिए “राष्ट्र रक्षा सूत्र बंधन यात्रा ” उन तक पहुचेगी /
जागरण जंगशन की टीम ,उसके पाठक,ब्लागर सभी की भावांजलि भी हमें अवश्य प्राप्त होगी सैनिक भाइयों के लिए ऐसी मैं अपेक्षा करती हूँ / मेरे जीवन का यह संकल्प १९९९ कारगिल युद्ध से ही संकल्पित हुआ है/ सर्वप्रथम १९९९ में मध्यप्रदेश के बालाघाट जहाँ मेरा निवास था से पहली यात्रा कारगिल-द्रास की अपने साथ ३० युवाओं के दल के साथ प्रारंभ हुई फिर तो यह सिलसिला चलते-चलते आज २०१२ तक पहुच गया/ पूरे वर्ष प्रतीक्षा रहती है इस दिन की/ जीवन बहुत संघर्षों के दौर से गुज़रा लेकिन सद्गुरु और प्रभु की अनंत कृपा से इस सफ़र के लिए हौसला मिलता ही रहा / मेरे सद्गुरु कहा करते है कि किसी कार्य कि सफलता से ज्यादा सार्थकता अहमियत रखती है मुझे लगता है कि गुरु का लाख-लाख शुकराना है जो जीवन में प्रसाद पाया है /मेरे सफ़र में मेरी हमसफ़र है मेरी गुरु बहिन डा.सम्पूर्णा जी,उनके सहयोग के बिना शायद इस यात्रा की कड़ी में व्यवधान आ ही गया होता लेकिन संकल्प के कल्पवृक्ष के नीचे हमारी दद्द इच्छा शक्ति को पूर्णता प्राप्त होने जा रही मन रोम-रोम प्रफुलित है /

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