Menu
blogid : 4118 postid : 113

सत्यमेव जयते -संवेदना जगाकर बाजारीकरण

vatsalya
vatsalya
  • 123 Posts
  • 98 Comments

बेटी बचाव की दिशा में लम्बे समय से सामाजिक संस्थाए तो कार्य कर ही रही है लेकिन समाज का वो वर्ग जो आध्यात्म जगत से है उनका सद्प्रयास इस दिशा में समाज और देश के बीच न केवल उपदेशात्मक बल्कि सकारात्मक और रचनात्मक भी कार्य किया जा रहा है/ परम पूज्य रामसुखदास जी महाराज जिनकी वाणी और उनका साहित्य , पूज्य तरुण सागर जी महाराज , गीता प्रेस,गायत्री परिवार जैसे संत और आश्रम अपने आध्यात्मिक ,धार्मिक प्रवचनों,सत्संग और कथाओं के माध्यम से समाज की संवेदनशीलता को जाग्रत करते रहे है इसी क्षेत्र में वात्सल्यमयी पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी द्वारा बेटियों के संरक्षण के लिए तो भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली,लीला स्थली में लगभग ५० एकड़ भूमि में वात्सल्य ग्राम की स्थापना की है और यह स्थापना निराश्रित बेटियों के लिए ही की गई है जहाँ एक ओर पालने में लोग शिशुओं को छोड़ कर जाते है तो वही दूसरी ओर घर परिवार और अस्पतालों से सूचना -‘हमारी तीसरी बेटी हुई है हम इसे नहीं रखना चाहते ले जाएँ ‘और संस्था के सेवादार उसे ले आते है इतना ही नहीं गाँव से लेकर शहरों की चकाचौंध में भी वात्सल्य के माध्यम से पूज्य दीदी माँ बेटियों को नाम,पहचान ,शिक्षा,स्वास्थ्य और स्वाभिमान से स्वावलंबन का संस्कार एक मातृप्रेम के गाँव में दे रही है और यह अभियान देश के प्रत्येक प्रदेश में कम से कम एक वात्सल्य ग्राम की स्थापना के द्वारा हो रहा है यह तो है वो पक्ष जो सकारात्मक और रचनात्मक है दूसरा एक और पक्ष है साध्वी जी अपने कार्यक्रमों के दौरान श्रोताओं,शिष्यों,भक्तों से संकल्प कराना कभी नहीं भूलती बेटी बचाव अभियान के लिए वो और उनकी संस्था केवल काम नहीं करती बल्कि उनके लिए ही जीती है / १६ दिसंबर २००८ का दिन मथुरा और वृन्दावन के इतिहास में सदैव स्मरण रहेगा जब मथुरा-वृन्दावन के घर-घर से एक लाख एन्क्यावन हजार हस्ताक्षरों से युक्त संकल्पों के पत्रको को संत समाज,समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष सौपते हुए दस हजार बेटियों सहित अभिभावकों से खचाखच वात्सल्य प्रांगन में संकल्प दोहराया गया था/ संकल्प था- मुझे गर्व है कि कई जन्मों के पुण्य प्रारब्ध के फलस्वरूप मैंने देव भूमि भारत में नारी के रूप में जन्म लिया है/माँ का रूप धारण कर मैंने स्वयं श्री भगवान को अपनी कोख का आश्रय देकर जन्म दिया ………पत्नी का रूप धारण कर अपने स्वामी श्री राम के साथ वन गमन कर नारी के अनुपम त्याग का इतिहास रचा ………….जगदजननी महिषासुर मर्दिनी का रूप धारण कर धरती को आसुरी शक्तियों से मुक्त किया …………..मीरा का रूप धारण कर भक्ति कि पराकाष्ठा को छुआ …………….पन्ना धय का रूप धारण कर अपनी संतान को राष्ट्र माता के चरणों में न्योछावर किया ………..झाँसी की रानी के रूप में अवतरित होकर अपनी तलवार की झंकार से आतताइयों में हाहाकार मचाया …………सदियों से भारत का जीवन मेरी सुद्दढ़ धुरी पर ही घूमता आया है/ मेरे ही ह्रदय में ममता ,त्याग ,बलिदान, शौर्य और भक्ति की प्रबल धाराए प्रवाहित होती है/इन्हीं धाराओं में भारत की सशक्त और समर्थ पीदियों का निर्माण होता है/
भारत के भविष्य के निर्माण में मेरी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है/ मैंने ही अंतरिक्ष की अनन्त ऊचाइओं तक भारतीयों के गौरव की ध्वजा लहराई………..अदम्य जीवटता की धनी पहली भारतीय महिला पुलिस अधिकारी बनकर मैंने ही देश भर के अपराध जगत को थरथरा दिया……………मैं ही उस बहादुर सेनाधिकारी कैप्टन की माँ हूँ जिसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके भी आततायी पाकिस्तानी सेना उससे कारगिल नहीं छीन सकी………….स्वर साम्रागी लता मंगेशकर के रूप में मैंने ही गीत-संगीत और भजनों की स्वर लहरियों को घर-घर तक पहुँचाकर जन-जन को ईश्वर का सामीप्य अनुभव करवाया है ………..भारत गणराज्य की प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप में मैंने ही सारे विश्व को भारत की मात्रशक्तिसे परिचित करवाया/परमपूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी के रूप में मेरा एक अदभुत रूप प्रकट हुआ है/मेरा वात्सल्य गंगा की धार बनकर सारे विश्व के निराश्रित और असमर्थ बचपन का संबल बना हुआ है / मैं भारत की नारी माँ भगवती को साक्षी मानकर यह प्रतिज्ञा करती हूँ कि बेटी के भ्रूण का संरक्षण करते हुए गर्भ में कन्या हत्या के कलंक से नारी जाति को मुक्त करुँगी/ ‘घर-घर अलख जगाना हैं,कन्या भ्रूण बचाना है’

कहने का आशय केवल और केवल यह है कि अपने-अपने स्तर से लगभग समाज के सभी वर्ग प्रयासरत है लेकिन जब-जब इसे एक योजना के अंतर्गत फिल्म जगत की जानी मानी हस्तिओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो वो तो संवेदना जगाकर केवल और केवल बाजारी करण का ही स्वरुप हमेशा ही सामने आता है/क्या जिन राज्यों ने बढचढ़ kar अपनी ओर से खान साब को aafar किये है उनके राज्यों में इस विषय पर स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा काम नहीं हो रहा मानते है कुछ संस्थाएं कागचों पर चलने वाली और कुछ काला -पीला करने वाले कार्य करती है पर कुछ तो सचमुच कार्य में लगी है उनका संबल नहीं होना चाहिए मुख्यमंत्रियों और उनकी एजेंसियों को ?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh