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मुझे गर्व है कि कई जन्मों के पुण्य प्रारब्ध के फलस्वरूप मैंने देव भूमि भारत में नारी के रूप में जन्म लिया है/माँ का रूप धारण कर मैंने स्वयं श्री भगवान को अपनी कोख का आश्रय देकर जन्म दिया ………पत्नी का रूप धारण कर अपने स्वामी श्री राम के साथ वन गमन कर नारी के अनुपम त्याग का इतिहास रचा ………….जगदजननी महिषासुर मर्दिनी का रूप धारण कर धरती को आसुरी शक्तियों से मुक्त किया …………..मीरा का रूप धारण कर भक्ति कि पराकाष्ठा को छुआ …………….पन्ना धय का रूप धारण कर अपनी संतान को राष्ट्र माता के चरणों में न्योछावर किया ………..झाँसी की रानी के रूप में अवतरित होकर अपनी तलवार की झंकार से आतताइयों में हाहाकार मचाया …………सदियों से भारत का जीवन मेरी सुद्दढ़ धुरी पर ही घूमता आया है/ मेरे ही ह्रदय में ममता ,त्याग ,बलिदान, शौर्य और भक्ति की प्रबल धाराए प्रवाहित होती है/इन्हीं धाराओं में भारत की सशक्त और समर्थ पीदियों का निर्माण होता है/
भारत के भविष्य के निर्माण में मेरी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है/ मैंने ही अंतरिक्ष की अनन्त ऊचाइओं तक भारतीयों के गौरव की ध्वजा लहराई………..अदम्य जीवटता की धनी पहली भारतीय महिला पुलिस अधिकारी बनकर मैंने ही देश भर के अपराध जगत को थरथरा दिया……………मैं ही उस बहादुर सेनाधिकारी कैप्टन की माँ हूँ जिसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके भी आततायी पाकिस्तानी सेना उससे कारगिल नहीं छीन सकी………….स्वर साम्रागी लता मंगेशकर के रूप में मैंने ही गीत-संगीत और भजनों की स्वर लहरियों को घर-घर तक पहुँचाकर जन-जन को ईश्वर का सामीप्य अनुभव करवाया है ………..भारत गणराज्य की प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप में मैंने ही सारे विश्व को भारत की मात्रशक्तिसे परिचित करवाया/परमपूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी के रूप में मेरा एक अदभुत रूप प्रकट हुआ है/मेरा वात्सल्य गंगा की धार बनकर सारे विश्व के निराश्रित और असमर्थ बचपन का संबल बना हुआ है / मैं भारत की नारी माँ भगवती को साक्षी मानकर यह प्रतिज्ञा करती हूँ कि बेटी के भ्रूण का संरक्षण करते हुए गर्भ में कन्या हत्या के कलंक से नारी जाति को मुक्त करुँगी/ ‘घर-घर अलख जगाना हैं,कन्या भ्रूण बचाना है’
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