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माँ- एक सुन्दर,सुखानुभूति का एहसास

vatsalya
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माँ कोई शब्द नहीं एक जीता जागता सुखानुभूति का एहसास है /सदा एक गीत सुना करती हूँ जो रोम-रोम को पुलकित करता है आज भी……
‘देखा नहीं जिसको हमने कभी ,उसकी जरुरत क्या होगी /ये माँ तेरी सूरत से अलग भगवान ki murat क्या होगी” माँ कहते ही आनन्द की रसधार से अंतर्मन भीग उठता है /वात्सल्य प्रकट हुआ है गौ माता और उसके बछड़े से,जानते है न कि गौ माँ जब अपने बछड़े-बछड़ी को जन्म देती है ,तो उसके शरीर में लगी गंदगी को चाट -चाट कर उसे वैसा उज्जवल बना देती है जैसा उसे होना चाहिए और उसकी सारी गंदगी अपने अन्दर ले लेती है /वत्स से प्रारम्भ वात्सल्य इतना सुन्दर सन्देश मानव जाति को प्रदान करता है माँ ही है जो अपनी संतान के सभी अवगुण,उसकी कमी-कमजोरी को छुपाते हुए उससे दूर करने का हर पल,हर संभव -असंभव प्रयास करती हुई उसे संसार का सबसे गुणी,योग्य और सफल-कामयाब इन्सान बनाने में अपना सारा जीवन लगा देती है /इसलिए तो कहा जाता है -याद रखिये-माँ की दुआ ख़ाली नहीं जाती और माँ की बददुआ टाली नहीं जाती /माँ बर्तन मांज कर भी अपने ४-५-बच्चों को पाल लेती है लेकिन शादी के बाद ४-५ बच्चों से एक माँ पाली नहीं जातीउनसे पूछो माँ क्या होती है जो मरहूम है माँ की छत्रछाया से /यों तो कई स्वंयसेवी संस्थाओं के द्वारा सिर पर छत और माँ का आँचल देने का अथक प्रयास किया जाता है और इसमें वो संस्थाए काफी हद तक सफल भी होती है लेकिन वो माँ के भाव की पूर्ति करने में वे भी असफल है ऐसा मैं इस आधार पर कह रही हूँ मैंने बहुत करीब से देखा है वहां भी रंग रूप के आधार पर भेद भाव होता है और फिर उसे प्रारब्ध का नाम दे इतिश्री कर ली जाती है /खैर हम तो माँ की सुखानुभूति का एहसास कर रहे थे न इसलिए युगल सरकार श्री राधारानी और श्री बिहारीजी के श्री चरणों में केवल yahi प्रार्थना है कि-भले ही हर बात भूल जाये पर माँ-बाप को कभी भूले न ,इनके अनगिनत है उपकार यह हम कभी भी भूले न /धरती के सभी देवताओं को पूजकर ही हमारी सूरत देखी,इनके दिल कठोर बनकर हम कभी तोड़े न,अपने मुहँ का कौर निकाल,हमें खिलाकर बड़ा किया/इन अमृत देने वालों के सामने हम कभी भी ज़हर उगले न /खूब लाड-प्यार किया हमसे ,हमारी हर जिद की पूरी/ऐसे प्यार करने वालों से प्यार करना हम कभी भी भूले न /चाहे लाखों कमाते हो लेकिन माँ-बाप खुश न रहें तो, लाख नहीं खाक है यह मानना हम कभी भी भूले न/भीगी चादर में खुद सोकर ,सुख से सुलाया हमें ,ऐसी अनमोल आँखों को भूल से भी कभी हम भिगोये न / दौलत से हर चीज़ मिलेगी ,लेकिन माँ -बाप मिलते नहीं इनके चरणों के प्रति सम्मान हम कभी भी भूले न / हम सब एक और सच से बखूबी परिचित ही है कि प्रभु जब भी संसार में करुणा वश अवतार लेने आते है तो उन्हें भी माँ की कोख का सहारा लेना ही होता है / संसार में मात्र माँ का रिश्ता ही तो निस्वार्थ भाव का रिश्ता है वर्ना ये भी तो कहा जाता है – बाप भला न गुरु ,भैया भला न सैया,सबसे बड़ा रुपैया / माँ की ममता अनमोल है उसका कोई भी मोल नहीं हो सकता लेकिन इस निष्ठुर जगत में माँ को अपने सीने पर पत्थर रख कुछ-कुछ ऐसे निर्णय भी लेने पड़ जाते है जो एक पक्षीय आधार पर समाज द्वारा निंदनीय घोषित किये जाते है / हालाँकि वो निर्णय भी ममता के वशीभूत होकर ही एक मजबूर और असहाय माँ को लेना पड़ा / बच्चे को तो माँ में भगवान ही नजर आता है तभी तो गाते है -ममता के मंदिर की है तू सबसे प्यारी मूरत ,भगवान नजर आता है जब देखे तेरी सूरत ,जब -जब दुनिया मैं आऊं तेरा ही आँचल पाऊं /

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