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भारतीय संस्कृति और संस्कार सदैव नारी के स्वरुप का सम्मान करना सिखाते हैं परन्तु वहीँ यह भी सर्वविदित ही है कि नारी से जुड़ें अपराधों की संख्या में इजाफा तेजी से हो रहा है और उसमें भी यौन उत्पीडन के मामलों में/ मेरी नज़र में यौन उत्पीडन के लिए पहनावा तो कुछ ही अंश में जिम्मेदार है जिम्मेदार तो है मानसिक सोच और विकृति/ हमारे ग्रन्थ इस बात के साक्षी है कि निर्वस्त्र और अल्पवस्त्र की स्थिति में भी मानसिक और शारीरिक आकर्षण ने कभी भी कोई मर्यादा पार नहीं की है परन्तु आज आदमी का अपने ऊपर से नियंत्रण-क्षमता समाप्त होते जा रही है भले इसका कारण आज का परिवेश या आधुनिक पाश्चात सभ्यता तथाकथित मोर्डेन-संस्कृति,समाज और कानून का ख़त्म होता भय और नशीले पदार्थों का बढता सेवन यह सब जिम्मेदार है बढते यौन उत्पीडन के/ यौन उत्पीडन के नाम पार केवल बलात्कार की ही घटना नहीं घटती बल्कि समाज में अति सम्माननीय और प्रतिष्ठत परिवारों में भी रिश्तेदारों द्वारा नाबालिग,युवा लड़कियों तथा महिलाओं का यौन शोषण किया जाना जारी है/ कुल मिलकर एक ही तत्व सभी चीजों के लिए जिम्मेदार है और वो है हमारा नैतिक और चारित्रिक पतन/जब तक हम दोबारा अपने खोये हुए मूल्यों को पुनःनहीं पाते तब तक चाहे शारीरिक,आर्थिक या सामाजिक पहलुओं पर कहीं भी हम ईमानदार नहीं हो सकते फिर भले हम चर्चाओं,लेखों के माध्यम से हम अपनी कुंठाओं को अन्यान्य तर्कों-कुतर्को में विभाजित कर एक-दूसरे के सिर पर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ते रहेगें/
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