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“पर्वो और त्योंहारों के बीच हम खुश हो जश्न मनाते क्योकि हम हिन्दुस्तानी……………

vatsalya
vatsalya
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हम जब आस्था,विश्वास और श्रद्धा के साथ ज्योत, अपने अराध्य के श्री-चरणों में जलाते है तो,
हम मनाते है दीपों का पर्व दीपावली,झिलमिलाता-जगमगाता हमारा दीप-पर्व दीवाली होती हमारी हर रात/
हम जब मन,भाव,विचार और कर्म में समरूप हो,रंग भरते है जीवन की बगिया में तो,
हम मनाते है रंगों का पर्व होली,रंग-रंगों से सजा हमारा रंग-पर्व होली होती हमारी हर दिन/
हम जब आपसी स्नेह,विश्वास,प्रेम-समर्पण से हो सरोबार,मिलते गले बारम्बार तो,
हम मनाते भाईचारे और सोहाद्र का पर्व इदुलजुहा, सेवैयों की सौंधी-सौंधी महक से घर-आँगन हमारा महकता और हम गले मिल ईद मनाते हर रोज/
हम जब बांटते खुशियों की सौगात दे उपहार अपनों को झूम-झूम,नाच गाकर तो,
हम मनाते हैप्पी क्रिसमस हर दिल हो जाता शांता क्लाज़ और हो जाता बड़ा-दिन हर दिन/
हम जब अलगाव,हिंसा,लूटपाट,मारकाट की घटनाओं को देखते-सुनते तो,
हम मातमी पर्व मोहरम्म में हो शरीक,पीट-पीट छाती अपनी अपनों के लिए अपनों के छल के लिए हो शर्मशार शोक का पर्व मोहरम्म मनाते/
और इस तरह पर्वो और त्योंहारों के बीच हम खुश हो जश्न मनाते क्योकि हम माँ भारती की संतान हिन्दुस्तानी है हिन्दुस्तानी……………………………………………

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